तुम्हें पूछता हूँ मैं दिलका पता
( तर्ज : क्या मिल गया है ... )
तुम्हें पूछता हूँ मैं दिलका पता ।
मेरे पास था , पर हुआ लापता ।।
जरासी नजर होगयी थी बदल ।
वो चलाही गया ,
मैं रहा देखता ! ॥ टेक ॥
जहाँ उसका गम है ,
वहीं तक के दम है ।
अगर वो निकल जाय
तो साराहि भ्रम है ।
मुझे उसकि मोहबत है ,
दिलसे भि गम है
न जाये जरा भी
निकल के कदम है ।।१ ।।
मेरा दिलहि मुझको
खुशी में रखेगा ।
अगर दिल न होगा
तो रोना पडेगा ॥
न जाये वो शैतान के संग खोगा ।
हमेशा भजन में हि
तुकड्या रँगेगा ॥२ ॥
बिरला मन्दिर , दिल्ली ,
दि . २५-२-६२
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